जल ही जीवन है ,जल तत्व को समझे और खुद को रखे हमेशा स्वस्थ।
सृष्टि के पांच महाभूत या पांच तत्व जिनसे ये भौतिक जगत बना है। वो है आकाश ,वायु ,अग्नि ,जल और पृथ्वी। मनुष्य का शरीर भी इन्ही पांच तत्वों से बना है इसलिए हमे यदि स्वस्थ और प्रसन्न रहना है तो इन तत्वों का शरीर में स्थान और उपस्तिथि को समझना होगा। आज हम जल तत्व के बारे में बात करेंगे।
जल वायु की तरह ही हमारे लिए और सृष्टि के प्रत्येक प्राणी के लिए एक आवश्यक तत्व है। जल सृष्टि में भिन्न भिन्न रूपों में दिखाई देता है,जैसे नदी , तालाब , झरने , समुद्र, आदि। जल दो प्रकार का होता है मृदु जल और कठोर जल। जल का कोई अपना रंग और स्वाद नहीं होता भिन्न पदार्थो के मिलने से वह कड़वा, मीठा,कैसेला,खारा, हो जाता है। जल पृथ्वी के लगभग ७०% भाग पर है।
जल के महत्व का वर्णन हमारे वेदो में और उपनिषदों में भी है। हमारा शरीर भी ७० प्रतिशत जल से ही बना हुआ है। हमारे शरीर के प्रत्येक अंग में जल विध्यमान है। जल की हमारे शरीर में अधिकता के कारन ही हम जल की सहयता से शरीर की रोगो से मुक्त कर सकते है।
आपने कभी गौर किया है जब कहि आस पास या हमारे घर में गंदगी जैम जाती है और किसी भी उपाय से नहीं साफ हो पति तो हम पानी के बहाव से उसे साफ कर देते है और ये ही पानी का अद्भुत गुण है। जैसे आस पास की गंदगी को जल द्वारा हटाया जा सकता है वैसे ही हम अपने शरीर की गंदगी को जल की सहायता से साफ कर सकते है। गंदगी हट जाने के बाद हमे कोई बीमारी हो ही नहीं सकती।
जल हमारे दूषित पदार्थो को बहकर उत्सर्जन अंगो जैसे त्वचा , किडनी,और बड़ी आंत तक बहाकर ले आता है और फिर उन्हें शरीर के मल द्वारा से बहार कर देता है।
जल का एक मुख्य गुण अवशोषण करना भी है ये सूर्ये की किरणों अग्नि आदि अन्य तत्वों को भी अवशोषित कर लेता है जिसके कारन और भी आसानी से शरीर को निरोगी करने में सहयता मिलती है।
जल का उपयोग हम खुद को स्वस्थ रखने के लिए दो तरह से कर सकते है। जल का बाहरी प्रयोग और जल का आंतरिक प्रयोग करके। विभिन्न प्रकार के स्नान , लपेट आदि जल का बाहरी प्रयोग है और उषापान, जलपान,एनिमा आदि जल का आंतरिक प्रयोग है।
जल तत्व चिकत्सा हमारे लिए बहुत ही साधारण और उपयोगी रही है ,प्राचीन समय से ही इसका वर्णन हमारे वेदो में मिलता है। किन्तु आधुनिक समय में विभिन्न चिकत्सको द्वारा जल के अलग अलग प्रयोग मानव शरीर पर करके वह अलग अलग विधियों के अविष्कारक बन गए जैसे -फादर नीप और लुइ कूने। लेकिन जल का प्रयोग एक तरीके और विधि से करके सभी स्वस्थ हो सकते है इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
जल के उपचारीये गुण -
- जल के सेवन से थकान दूर होती है।
- जल पीने से शीतलता मिलती है और गर्मी के मौसम में तो वरदान है पानी।
- जल का सेवन सूखा रोग में भी रहत दिलाता है।
- काली खांसी में भी शीतल जल से रहत मिलती है।
- जल के प्रयोग से हिस्टीरिया जैसी गंभीर बीमारियों के दौरो को भी काम किया जा सकता है।
- आग को शांत करने में जल की भूमिका से हम सभी परिचित है अब वो आग चाहे कहि भी लगी हो जल से आराम ही मिलता है।
- अस्थमा रोग में सुबह उठकर पानी का सेवन करने से आराम मिलता है।
- शरीर को शुद्ध करने के लिए जल बहुत ही उपयोगी है।
- जल के आभाव में शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण भी संभव नहीं है।
- रक्त का आधार जल ही है।
- जल के सही और उचित मात्रा में सेवन से कब्ज की समस्या समाप्त हो जाती है।
- जल किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
- जल का सेवन और प्रयोग पीलिया रोग को भी कम करता है।
- पेट सम्बन्धी सभी रोगो का नाश जल के प्रयोग से हो सकता है
- त्वचा पर झुर्रिया नहीं आने में ,लू से बचाव में ,नेत्र ज्योति बढ़ाने में शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में ,जोड़ो को क्रियाशील रखने में ,आदि बहुत से रोगो को हम जल की सहायता से सही कर सकते है।
जल अद्भुत है और अद्भुत है इसके गुण , इसके होने से पृथ्वी पर जीवन , समझो सभी लोग सगुण।