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Severity: 8192

Message: Return type of CI_Session_files_driver::open($save_path, $name) should either be compatible with SessionHandlerInterface::open(string $path, string $name): bool, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 132

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: 8192

Message: Return type of CI_Session_files_driver::close() should either be compatible with SessionHandlerInterface::close(): bool, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 290

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

A PHP Error was encountered

Severity: 8192

Message: Return type of CI_Session_files_driver::read($session_id) should either be compatible with SessionHandlerInterface::read(string $id): string|false, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 164

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

A PHP Error was encountered

Severity: 8192

Message: Return type of CI_Session_files_driver::write($session_id, $session_data) should either be compatible with SessionHandlerInterface::write(string $id, string $data): bool, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 233

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: 8192

Message: Return type of CI_Session_files_driver::destroy($session_id) should either be compatible with SessionHandlerInterface::destroy(string $id): bool, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 313

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

A PHP Error was encountered

Severity: 8192

Message: Return type of CI_Session_files_driver::gc($maxlifetime) should either be compatible with SessionHandlerInterface::gc(int $max_lifetime): int|false, or the #[\ReturnTypeWillChange] attribute should be used to temporarily suppress the notice

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 354

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 284

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: Warning

Message: session_set_cookie_params(): Session cookie parameters cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 296

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: Warning

Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 306

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: Warning

Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 316

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

A PHP Error was encountered

Severity: Warning

Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 317

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

A PHP Error was encountered

Severity: Warning

Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 318

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: Warning

Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 319

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

A PHP Error was encountered

Severity: Warning

Message: ini_set(): Session ini settings cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 377

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: Warning

Message: session_set_save_handler(): Session save handler cannot be changed after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 110

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: Warning

Message: session_start(): Session cannot be started after headers have already been sent

Filename: Session/Session.php

Line Number: 143

Backtrace:

File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

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Severity: 8192

Message: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated

Filename: libraries/Javascript.php

Line Number: 657

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File: /home2/kridhahealth/public_html/index.php
Line: 317
Function: require_once

जीवन जीने की प्राकृतिक कला-

जीवन जीने की प्राकृतिक कला-

प्राकृतिक जीवन जीना एक कला है और सभी के लिए एक वरदान है। भारत में यह कला प्राचीन समय में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में रची बसी हुई थी पुलिस टॉप किंतु आधुनिकता की अंधी दौड़ ने हमारी प्राकृतिक जीवन शैली को तहस-नहस करके रख दिया है। परिणाम स्वरूप हमारा स्वास्थ्य स्तर निम्न स्तर पर पहुंच गया है पुलिस टॉप व्यक्ति की आयु 100 वर्ष मानी गई है किंतु वर्तमान समय में यह घटती जा रही है। सिर्फ एक व्यक्ति के स्वस्थ होने से स्तर उच्च नहीं होगा सामुदायिक स्वास्थ्य या सभी के स्वास्थ्य की परिकल्पना के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेगा। हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने भी यही सपना देखा था उनका भी यही विचार था कि सबके भले में ही व्यक्ति का भला होता है। गांधीजी चाहते थे हमारे देश का प्रत्येक नागरिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बने। व्यक्ति को स्वास्थ्य क्षेत्र में स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से अच्छी कोई भी चिकित्सा प्रणाली नहीं है। गांधी जी के हृदय में एक कल्पना थी एक सपना था की प्राकृतिक चिकित्सा जन-जन तक पहुंचे।

औषधि वितरित करने वाले सभी औषधालय व्यक्ति को स्वस्थ नहीं अपितु कमजोर बना रहे हैं। उन्होंने प्राकृतिक जीवन व प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा ही एक स्वस्थ समाज व स्वस्थ भारत की कल्पना की थी। प्राकृतिक चिकित्सा के संबंध में गांधी जी का अत्यंत ही विराट चिंतन था ,उनका मानना था व्यक्ति जब रोगी होता है तो वह चिकित्सक के पास दवा लेने जाता है और स्वस्थ होने की कामना करता है। रोग के लक्षण समाप्त होने के बाद डॉक्टर का दायित्व खत्म हो जाता है और रोगी की रुचि भी समाप्त हो जाती है। लेकिन प्राकृतिक चिकित्सक व्यक्ति को सही ढंग से जीवन जीना सिखाता है वह रोगों से मुक्ति का मार्ग नहीं दिखाता बल्कि रोगी भविष्य में भी बीमार ना पड़े इसका भी ध्यान रखता है।

प्राकृतिक चिकित्सा का मौलिक सिद्धांत यह है कि शरीर निरंतर स्वस्थ रहने का प्रयास करें इसका धर्मी स्वास्थ्य है। स्वास्थ्य मानव का जन्म सिद्ध अधिकार ही नहीं स्वरूप सिद्ध अधिकार है। स्वस्थ व्यक्ति को बीमारी अपना शिकार नहीं बनाती है। हम ही हैं जो जाने अनजाने में गलतियां कर बैठते हैं और अपने स्वास्थ्य का नाश कर लेते हैं। हमारा शरीर फतेही इन विकारों को बाहर निकालने का प्रयास करता है उसी स्थिति में हम शरीर की प्राकृतिक रूप से सहायता करें तो हमारे शरीर के सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाएंगे और हम स्वस्थ रहेंगे। जब हमारे शरीर में कोई विषैला तत्व या बाहरी तत्व इकट्ठा हो जाता है तो ही हमारे शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं और यही विकास जब लंबे समय तक हमारे शरीर में रह जाते हैं तो रोक के रूप में उभर कर हमारे सामने आते हैं।

हमें इन विकारों को हमारे शरीर से दूर करने का प्रयास करना चाहिए। यह प्रयास हम प्राकृतिक रूप से करें तो सोने पर सुहागे वाली बात हो जाएगी। हम निम्न उपायों को अपनाकर अपने जीवन को वह अपने समाज को समाज के प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ कर सकते हैं-

प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए और अपने आसपास के लोगों को भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए प्रेरित करना चाहिए

हाथ मुंह धो कर मुंह में पानी भरकर आंखों पर ठंडे पानी के छींटे डालने चाहिए तथा एक गिलास गुनगुना पानी पीकर नित्य कर्म से निवृत होना चाहिए।

नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद खुली हवा में टहलना चाहिए और हो सके तो आसन और प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।

हमेशा ताजा पानी से ही नहाना चाहिए और नहाने के पश्चात रोए दार तोलिए से पूरे शरीर को रगड़ना चाहिए।

प्रातः काल नाश्ते में नींबू शहद फल सब्जी कारण गाय का दूध मट्ठा आदि पेय पदार्थ लेने चाहिए। जो व्यक्ति अधिक शारीरिक श्रम करते हैं वह नाश्ते में अंकुरित अनाज और गुड का सेवन कर सकते हैं।

दोपहर में सादा भोजन ही करना चाहिए जहां तक संभव हो भोजन को प्राकृतिक अवस्था में ही ग्रहण करना चाहिए। भोजन को चबा चबा कर खाना चाहिए भोजन के 1 घंटे पहले या बाद में पानी पीना चाहिए।

साईं कालीन भोजन में हलका आहार लेना चाहिए।

तंबाकू धूम्रपान शराब मिर्च मसाले कन्फेक्शनरी आइटम्स आइसक्रीम कोल्ड ड्रिंक्स चाय कॉफी आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

खाते समय हमेशा प्रसन्न रहना चाहिए। बिना बुक के तथा शोक और जलन में खाना खाने से खाने पर जहरीला प्रभाव पड़ता है।

अमली खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए या बिल्कुल ही कम करना चाहिए क्योंकि हमारे शरीर में अम्लीय था 20% और छारीय ता 80% होती है। जैसे मांस मछली अंडा बेर इमली मैदा बेसन बिना छिलके की दाल पोलीस वाला चावल आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। छारीय पदार्थों का उपयोग करना चाहिए जैसे कि सभी प्रकार के ताजे फल सब्जियां अंकुरित अनाज छिलका सहित दाल बिना पॉलिश वाले चावल आदि।

खाना खाने के 15 मिनट विश्राम करना चाहिए या शवासन या वज्रासन में बैठना चाहिए।

रात्रि को जल्दी सोना चाहिए तथा सुबह जल्दी उठना चाहिए सोते हुए उठते समय ईश्वर का स्मरण और धन्यवाद करना चाहिए।

15 दिन में एक बार नींबू पानी शहद पर तथा 7 दिन में 1 बार रस का उपवास करना चाहिए।

प्रतिदिन कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए गर्मियों में यह मात्रा थोड़ी बढ़ाई जा सकती है।

सदैव प्रसन्न चित्त वह तनाव रहित रहना चाहिए प्रसन्न रहने से शरीर में विश उत्पन्न नहीं होते।

उपयुक्त स्वास्थ्य सूत्रों को अपनाकर व्यक्ति स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकता है। जब एक व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करेगा तो वह अन्य व्यक्तियों की भी प्रेरणा बनता है। एक से दो दो से चार 4 से 400000 और करोड़ों लोगों का कारवां जब बनता जाएगा तो देश अपने आप ही स्वस्थ हो जाएगा । भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अब प्राकृतिक चिकित्सा की जीवन शैली को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री जी और हमारे प्राचीन परंपरा के ऋषि मुनियों के अथक प्रयासों द्वारा आज पूरा विश्व योग को एक उत्सव के रूप में मना रहा है। प्राकृतिक जीवन शैली से ही व्यक्ति का विकास वृद्धि और उत्थान संभव है। व्यक्ति जब स्वस्थ नहीं होता तो उसका मन भी स्वस्थ नहीं होता जिसकी वजह से वह अच्छे काम नहीं कर पाता। एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है और जब हमारा मस्तिष्क स्वस्थ होता है तो इस संसार का ऐसा कोई काम नहीं है जो हम कर ना पाए।